लम्बी उम्र के लिए समर्पण,त्याग और तपस्या ही करवाचौथ है-सागर कश्यप

ठूठीबारी,महराजगंज_
भारत में पति की लंबी उम्र के लिए पूजा-व्रत करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। उन्हीं में से एक सबसे लोकप्रिय परंपरा है- करवा चौथ। यह वो पर्व है, जिसमें सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ पति और पत्नी के बीच के प्रेम को दर्शाने वाला बेहद निष्ठापूर्ण व श्रद्धा भाव से उपवास रखने का त्योहार है। आज पूरे देश में धूमधाम से इस त्योहार को मनाया जा रहा है। प्राचीनकाल से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती चली आ रही हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती है और ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करती है।
“यह त्यौहार रिश्तों में धीरज, त्याग और वफादारी के मूल्यों को सिखाता है”। करवा चौथ के एक से अधिक पहलू हैं। यह सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों है, यह पत्नियों द्वारा अपने पतियों के प्रति अपनी प्रार्थना और समर्पण को समर्पित करने और उनकी भलाई के लिए प्रार्थना करने का एक तरीका है।
यह वह दिन है, जब महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए संकल्पित होती हैं। यह व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच के अटूट प्रेम और निष्ठा का प्रतीक भी है। करवा चौथ यह सिखाता है कि प्रेम का सही अर्थ तब है, जब उसमें ‘समर्पण, त्याग और तपस्या हो’।
पूरी कहानी असल में तो यह है__ करवा नाम की एक दूसरी स्त्री की कहानी है, जिसने सावित्री की ही तरह अपने पति के प्राण यमराज से बचा लिए थे. तब यमराज ने करवा को उसकी पति श्रद्धा देखकर वरदान दिया था कि इस विशेष दिन को तुम्हारे नाम के व्रत से जाना जाएगा और जो स्त्री ऐसा व्रत करेगी उसका अखंड सुहाग बना रहेगा !
इसलिए पति की लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत बहुत ही अनमोल माना गया है! इसलिए यह व्रत पति-पत्नी का एक-दूसरे के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक रहा है।