उत्तर प्रदेश

Gonda,UP:सरकारी अस्पतालों पर जिलाधिकारी हुई सख्त, जाँच के दिए आदेश

40 बिंदुओं की चेकलिस्ट के साथ डीएम का निर्देश: स्वास्थ्य सुविधाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं

एसपी रावत,संपादक

गोंडा। जिला प्रशासन ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जिले के सरकारी अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति सुधारने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को सघन निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है। इस दौरान अस्पतालों की सेवाओं, स्वच्छता और दवाओं की उपलब्धता को परखा जाएगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की उपस्थिति नियमित रहे और मरीजों को समय पर सभी आवश्यक सुविधाएं मिलें। उन्होंने स्वयं परसपुर, करनैलगंज, हलधरमऊ और कटरा बाजार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण करने का जिम्मा उठाया है।

स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए विस्तृत योजना

जिलाधिकारी ने अस्पतालों की जांच के लिए 40 बिंदुओं की एक विस्तृत चेकलिस्ट तैयार की है। इसमें एंटी रैबीज वैक्सीन, सीटी स्कैन, न्यूबॉर्न केयर यूनिट, टीकाकरण कार्यक्रम, मातृ-शिशु मृत्यु ऑडिट और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है। यह चेकलिस्ट सुनिश्चित करेगी कि मरीजों को चिकित्सा सेवाएं बेहतर ढंग से प्रदान की जाएं।

वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपे गए निरीक्षण के निर्देश

प्रत्येक अस्पताल का निरीक्षण जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। निरीक्षण की जिम्मेदारियों का विवरण इस प्रकार है:
• बाबू ईश्वर शरण चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेहना: मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन और अपर उप जिलाधिकारी नेहा मिश्रा।
• सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छपिया, बभनजोत, मनकापुर: मुख्य राजस्व अधिकारी महेश प्रकाश और अपर उप जिलाधिकारी अशोक गुप्ता।
• सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वजीरगंज, तरबगंज, बेलसर, नवाबगंज: अपर जिलाधिकारी आलोक कुमार और डिप्टी कलेक्टर सुशील कुमार।
• सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र काजीदेवर, पंडरी कृपाल, रूपईडीह: नगर मजिस्ट्रेट पंकज वर्मा और अपर उप जिलाधिकारी राजीव मोहन सक्सेना।

जिलाधिकारी का कड़ा संदेश

डीएम नेहा शर्मा ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि मरीजों से किसी प्रकार की अवैध फीस न ली जाए और दवाइयों के लिए अनावश्यक रूप से पैसा न मांगा जाए। दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने कहा, “प्रशासन का मुख्य उद्देश्य यह है कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले हर मरीज को बेहतर और समय पर चिकित्सा सुविधाएं मिले। निरीक्षण रिपोर्ट में जिन कमियों का खुलासा होगा, उन्हें तत्काल प्रभाव से दूर किया जाएगा।” जिले के लोगों ने जिलाधिकारी की इस पहल की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि इन कदमों से सरकारी अस्पतालों की हालत में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।।

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