जहां होना चाहिए भरोसा, वहां भय है-समाजसेवी सुनील चौधरी

भरोसा कांच की तरह होता है। एक बार टूट गया तो फिर दुबारा कायम नहीं हो पाता। आजकल भरोसा टूटने का यह सिलसिल्क लगातार बढ़ता जा रहा है। आज जिस तरह से पुरुष या महिला एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो रहे हैं, यह एक समस्या ही अहीं बहुत गंभीर बीमारी बनती जा रही है। कोई अपने रिश्ते में खुश नहीं, उसे बाहर के लोग ज्याचा आकर्षित कर रहे हैं। पुरुष को महिला के प्रति आकर्षित होना या महिला को पुरुष के प्रति आकर्षित होना आप ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ कह सकते हैं। लेकिन एक जिम्मेदार अपना सब कुछ भूलकर कैसे आकर्षित हो सकता है। सबसे ज्यादा चालीस के आस-पास वाले लोग ही इस कठघरे में खड़े है। क्या ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार हैं? अगर हैं तो क्यों? देखा जाए तो इसकी जड़ में बहुत छोटी-छोटी समस्याएं हैं। इनमें से खुद को ऑफिस के कामों में उलझाकर रखना एक है, जिसकी वजह से लोग तलाक ले रहे है, आत्महत्या कर रहे हैं।
डिजिटल दुनिया से जुड़कर घंटों चैट, बातें करना, फिर उसे डिलीट कर देना आपसी भरोसा तोड़ रहा है। जरा सोचिए, आखिर ऐसी बातें करना ही क्यों, जो
डिलीट करनी पड़े? यह दुखद और शर्मनाक है। महिला स्वयं से ज्यादा उम्र वाले पुरुष से आकर्षित होती हैं। उन्हें लगता है, वह हमें बेहतर तरीके से समझ रहा है, अनुभवी है, जबकि कई बार महिलाएं गलत साबित होती हैं। सामने वाला अनुभवी नहीं, उसकी मानसिक स्थिति से अच्छी तरह खेलना जानता है। वहीं कुछ पुरुष ज्यादा उम्र की महिलाओं के प्रति आकर्षित होते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे रिश्तों को भावनात्मक तरीके से देखती हैं और उनकी हर समस्या को बड़ी सहजता के साथ हल कर सकती हैं। वहीं समान उम्र बाले लोग एक-दूसरे के प्रति जल्दी आकर्षित नहीं होते, क्योंकि उन्हें लगता है कि मैं किसी काम को इससे बेहतर कर सकता/सकती हूं। हमें एक-दूसरे के मशवरे की आवश्यकता नहीं। बहरहाल, जब ये कोई काम मिलकर करते हैं तो वह वाकई लाजबाब होता है।
अब समझने की बात यह है कि महिलाएं जान-बूझकर उनके जाल में फंसती है या गलती से? जबकि अधिकतर महिलाएं पुरुष की हर एक चाल को बखूबी समझती हैं। फिर वे ऐसे जाल में कैसे फंसती हैं? दुर्भाग्य यह है कि ऐसे मामलों में महिलाएं बिना सोचे-समझे अपने समाज, परिवार और पति को दरकिनार कर देती हैं, जिसका उन्हें बाद में आभास होता है।