उत्तर प्रदेश

कैकेई के वचन पूरे करने को राम चले वन, दर्शकों की आंखों में आए आंसू

रुदौली-अयोध्या। रुदौली नगर में चल रही 136 साल पुरानी रामलीला में पाचवें दिन शुक्रवार को राम के वन गमन की लीला का मंचन किया गया। श्रीराम वन की ओर जाता देखकर श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई। मंचन की शुरुआत अयोध्या नरेश दशरथ के राज दरबार से हुई। राम के राजतिलक की तैयारियां चल रही थीं। तभी दशरथ को सूचना मिली कि महारानी कैकेई कोप भवन में चली गई हैं। दशरथ कोप भवन पहुंचे और कैकेई से रूठने का कारण पूछा। मंथरा के समझने पर कैकेई ने राम के राजतिलक का विरोध किया। उन्होंने पहला वर भरत को राजगद्दी और दूसरा राम को चौदह वर्ष का वनवास। यह सुनकर दशरथ विकल हो गए। वे कैकेई को मनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन उनकी जिद के आगे झुक जाते हैं। दशरथ का अभिनय बृजकिशोर और कैकेई का संदीप नवीन शुक्ला ने किया।दोनों ने अपने अभिनयकला का शानदार परिचय देते हुए उपस्थित दर्शकों की वाहवाही लूटी। राज दरबार में राम को वनवास की घोषणा होते ही प्रजा विरोध करने लगी। अगले दृश्य में राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वन के लिए निकल पड़े। महाराज दशरथ के विलाप और राम के वन गमन का करुण दृश्य देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गई। इसके बाद दिखाया गया कि श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जब मंत्री सुमंत के साथ वन में पहुंचते हैं। तो वहां उनकी भेंट निषाद राज से होती है। निषाद राज प्रभु की भांति-भांति से सेवा करते हैं। यश बंशल के सुमंत और राज कुमार के मंथरा के अभिनय ने दर्शकों को प्रभावित किया।

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