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21 जून को होता है सब से बड़ा दिन

प्रत्येक वर्ष की तरह, बर्ष 2025 में भी समर सोल्स्टिस यानी ‘गर्मी का सबसे लंबा दिन’ जून महीने में आएगा। इस दिन सूरज सबसे ज्यादा देर तक आकाश में दिखाई देगा और रात भी सबसे छोटी होगी। यह घटना सिर्फ उत्तरी गोलार्ध (नॉर्दर्न हेमिस्फियर) में होती है, यह खगोलीय घटना 21 जून, 2025 को भारत में सुबह 8:12 बजे होगी। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है, और इसके बाद धीरे धीरे दिन छोटे होते जाते हैं, और रातों की लम्बाई बढ़ती जाती है।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि दुनियाभर की कई संस्कृतियों में समर सोल्स्टिस को उत्सव और रिवाजों के रूप में भी मनाया जाता है। कुछ लोगों द्वारा इसे प्रकाश, एवं उन्नति और जीवन के एक प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इस खगोलीय घटना को समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति कहा जाता है, जो कि जून में घटित होती है, यह पृथ्वी की गतियों के कारण कभी कभी 20 या 21 जून को पड़ता है इस बार यह 21 जून को होगा,जिस कारण से खास कर के उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में निवास करने वाले लोगों के लिए यह दिन सबसे लम्बा दिन होता है, और दक्षिणी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों के लिए सबसे छोटा दिन भी होता है, समर सोल्स्टिस के बाद सूरज की दिशा धीरे-धीरे दक्षिण की ओर झुकने लगती है और दिन छोटे होते चले जाते हैं। दिसंबर में जब विंटर सोल्स्टिस आता है, तब दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होती है।

क्यों होता है ऐसा _ खगोलविद अमर पाल ने बताया कि हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, और इस झुकाब के साथ ही सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण भी करती है, सूर्य का एक संपूर्ण चक्कर लगाने में लगने वाले समय को हम एक बर्ष कहते हैं, जो कि साधारणतया 365 दिनों में या लीप वर्ष होने पर 366 दिनों में पूर्ण होता है, इस वार्षिक गति के दौरान कभी पृथ्वी सूर्य से दूर तो कभी पास से गुजरती है, जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने वाला पथ दीर्घब्रत्ताकार ( एलिप्टिकल) या अण्डाकार जैसा है, जिस कारण से पृथ्वी को सूर्य के पास और सूर्य से दूर से होके गुजरना पड़ता है, इस दौरान पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगाना पड़ता है इसी दौरान जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के ट्रॉपिक ऑफ कैंसर ( कर्क रेखा) पर लगभग सीधी पड़ती हैं उसी कारण पृथ्वी के कुछ हिस्सों में दिन की अवधि में भी बढ़ोत्तरी होती है, जिस कारण से ख़ासकर के उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन होता है, इसकी वजह से भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित जगहों जैसे उत्तरी अमेरिका, यूरोप, रूस, एशिया और आधा अफ्रीका महाद्वीप में आने वाले कई देशों में सबसे लंबा दिन देखने को मिलता है। खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस खगोलीय घटना के बाद से यानी 21 जून के बाद से सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ने लगेगा। इसे सूर्य का दक्षिणायन होना माना जाता है। इस तारीख के बाद से दिन छोटे होने लगेंगे और रातें लंबी होनी शुरू हो जाएंगी। 21 सितंबर आते-आते दिन और रात एक बराबर हो जाते हैं।

क्या होता है समर सॉलिसटाईस –

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सॉलिस्टीस मूलतः लैटिन भाषा से लिया गया शब्द है, जो कि दो प्रमुख शब्दों से मिलकर बना हुआ है,सोल मतलब होता है सूर्य और स्टाइस मतलब होता है इस्थिर रहना, जिसका अर्थ हुआ कि सूर्य का इस्थर सा होना, इस कारण से इसे ही नाम दिया गया है समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति, जो कि एक महत्त्वपूर्ण खगोलीय घटना होती है, इस दौरान पृथ्वी का अक्ष सूर्य की तरफ़ ज्यादा झुका होता है, जिस कारण से पृथ्वी का एक गोलार्ध सीधे सूर्य की ज्यादा रोशनी प्राप्त करता है, जिस दिन यह अपने चरम पर होता है, इसे ही खगोल विज्ञान की भाषा में ग्रीष्म संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है , इस दौरान दिन की अवधि लगभग 13 घण्टे तक होती है।

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि ग्रीष्म कालीन संक्रांति को गौर से देखें तो हम पाते हैं कि
प्राचीन कालीन संस्कृतियों में कुछ विशेष खगोलीय जानकारी रखने वाले खगोलशास्त्रियों को भी पता था कि आकाश में सूर्य का पथ, दिन की लंबाई तथा सूर्योदय और सूर्यास्त का स्थान, सम्पूर्ण वर्ष भर नियमित रूप से बदलते रहते हैं। मुख्यतः
इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने सूर्य की वार्षिक प्रगति का अनुसरण करने के लिए इंग्लैंड में स्टोनहेंज और पेरू में माचू पिच्चू जैसे कुछ और भी विशेष स्मारकों का निर्माण किया था।

आज हम जानते हैं कि संक्रांति पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुकाव तथा सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने के कारण होती है। खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि कुछ व्यक्तियों का प्रशन हो सकता है कि हमारी पृथ्वी का सूर्य से दूरी के कारण ऐसा होना चाहिए।
ऐसा क्यों नहीं होता कि सबसे लम्बे दिन सबसे ज्यादा गर्मी होनी चाहिए।
तो बता दें कि यह पृथ्वी का झुकाव है जिसके कारण ऐसा होता है,न कि सूर्य से हमारी पृथ्वी की दूरी , जो सर्दी और गर्मी का कारण बनती है। हक़ीक़त में, पृथ्वी सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्तीय पथ पर घूमते हुए जनवरी में सूर्य के सबसे करीब होती है, और जुलाई में, उत्तरी गोलार्ध की गर्मियों के दौरान सूर्य से सबसे दूर होती है।

 

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