निचलौल के विशुनपुरा बन्दी में फर्जी हाजिरी का खेल! वायरल वीडियो ने किया बड़ा खुलासा

महराजगंज (उत्तर प्रदेश): महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत चल रही योजनाओं में एक बार फिर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। महराजगंज जनपद के निचलौल ब्लॉक अंतर्गत ग्रामसभा विशुनपुरा बंदी से एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसने सरकारी सिस्टम की पोल खोल दी है।
सूत्रों के मुताबिक युवक द्वारा जिस दिन फर्जी तरीके से फोटो खींचे जाने का वीडियो बनाकर वायरल किया उस दिन मनरेगा से कोई कार्य नहीं हो रहा था।सिर्फ अपने बचाव के लिए ग्रामप्रधान व रोजगार सेवक ने दूसरे दिन काम शुरू कराया कार्य आरंभ होने से पहले रोजगार सेवक द्वारा फर्जी तरीके से मजदूरों का फ़ोटो लिया जा रहा था इसी बीच गांव के ही आनंद पासवान ने फर्जीवाड़ा का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया । जब वीडियो विभाग के अधिकारियों तक पहुंची तो रोजगार सेवक और ग्रामप्रधान को बचाने की कोशिश करते हुए एक दिन पहले का फोटो दिखा दिया उस फोटो में काम करते हुए दिखाया गया है। फ़ोटो का समय समय करीब 11:00 बजे दिखाया गया है । तो वही युवक ने शाम 5:00 के करीब वीडियो बनाया था वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कहीं कोई कार्य नहीं हुआ है परंतु वही फोटो की बात करें तो 11:00 के करीब काम करते दिखाया गया है जो यह संकेत करता है की कुछ विभागीय अधिकारियों के मिली भगत से इस तरह के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मनरेगा के तहत मजदूरों की उपस्थिति उनके वास्तविक काम पर आने के बजाय फोटो दिखाकर दर्ज की जा रही है। बिना किसी की हाजिरी के, केवल तस्वीरों के माध्यम से उपस्थिति दर्ज की जा रही है, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।
गांव वालों का आरोप:
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी इस तरह की गतिविधियाँ हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया। अब जबकि यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है।
न्याय की मांग और सवालों के घेरे में प्रशासन:
यह मामला केवल सरकारी धन की बर्बादी नहीं, बल्कि उन गरीब मजदूरों के अधिकारों का भी हनन है जो दिनभर मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन केवल जांच के नाम पर खानापूर्ति करेगा या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी?
सुधार की आवश्यकता:
विशेषज्ञों का मानना है कि मनरेगा जैसी योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए टेक्नोलॉजी आधारित निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करना बेहद जरूरी है। बायोमेट्रिक हाजिरी, लाइव जीपीएस ट्रैकिंग, और सतत निगरानी जैसे उपायों से इस तरह की धांधलियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष:
मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजना तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक इसे जमीनी स्तर पर ईमानदारी से लागू न किया जाए। यह वायरल वीडियो न केवल एक स्थानीय भ्रष्टाचार की कहानी है, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी भी।