“अनशन टूटा था, संघर्ष नहीं” — एडीएम के खिलाफ जदयू उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल की जंग जारी

बांदा।
एडीएम (राजस्व) राजेश कुमार वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर आमरण अनशन करने वाली जनता दल यूनाइटेड की उत्तर प्रदेश प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने एक बार फिर दो टूक कहा है कि “अनशन भले ही समाप्त हुआ हो, लेकिन लड़ाई खत्म नहीं हुई है — यह संघर्ष आज भी जारी है और आगे भी जारी रहेगा।”
4 जुलाई 2025 को शालिनी पटेल ने मंडलायुक्त चित्रकूटधाम को पांच पन्नों का विस्तृत शिकायती पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने एडीएम की पत्नी सोनी वर्मा की एक निजी डायग्नोस्टिक लैब में 30% हिस्सेदारी से जुड़ी पार्टनरशिप डीड की प्रमाणिक प्रति भी संलग्न की। उनका स्पष्ट आरोप है कि यह एक हितों के टकराव (Conflict of Interest) का गंभीर मामला है और इस पर शासन व प्रशासन की चुप्पी भ्रष्टाचार को संरक्षण देने जैसी है।
शालिनी पटेल ने बताया कि मार्च 2025 में पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र पर मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी बांदा को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, लेकिन आज तक कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
उन्होंने कहा —
“मेरा काम है साक्ष्य के साथ पत्र लिखना। कार्रवाई करना शासन और अधिकारियों की जिम्मेदारी है। यदि वे चुप हैं तो हम चुप नहीं बैठेंगे। सत्य की लड़ाई लड़ना मैंने चुना है, और यह संघर्ष अंतिम सांस तक जारी रहेगा।”
कुछ मीडिया हलकों और विरोधियों द्वारा उन पर समझौता करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिन पर तीखा पलटवार करते हुए शालिनी पटेल ने कहा —
“जो लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं, उन्हें बता दूं — शालिनी सिंह पटेल कभी डरती नहीं है। न सत्ता से, न व्यवस्था से, और न ही झूठे प्रचार से। मैं समझौता करने वालों में नहीं, टकराने वालों में हूं।”
जातिवाद के आरोपों पर भी उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया —
“मैंने आरके पटेल, प्रभाकर पटेल और अरुणेश सिंह पटेल जैसे अपनी ही जाति के लोगों के खिलाफ लिखा है। मैं जाति देखकर नहीं, ईमानदारी और भ्रष्टाचार देखकर सवाल उठाती हूं।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा —
“जो मेरे खिलाफ लिख रहे हैं, वे सदर विधायक के खिलाफ एक शब्द तक नहीं लिख सकते। उनकी कलम सत्ता की चरणवंदना में व्यस्त है, जबकि शालिनी पटेल की कलम जनहित और न्याय के लिए लड़ रही है।”
शालिनी सिंह पटेल ने शासन से मांग की है कि:
1. साझेदारी डीड की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए,
2. जांच पूरी होने तक एडीएम राजेश वर्मा को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए,
3. इस प्रकरण से जुड़े सभी अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष विवेचना की जाए।
उन्होंने अपनी शिकायत और दस्तावेज सोशल मीडिया पर सार्वजनिक करते हुए कहा —
“मैं सिर्फ आरोप नहीं लगाती, साक्ष्य भी देती हूं। लड़ाई अब सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं, बल्कि उस चुप्पी के खिलाफ भी है जो व्यवस्था में फैलते सड़ांध को नजरअंदाज कर रही है।”