
पत्रकार उषा माहना, नई दिल्ली
जीएमसी द्वारा बनाई गई “कानपुर फाइल्स” डॉक्यूमेंट्री पूरे भारत में 1984 के सिख नरसंहार पीड़ितों को मानवाधिकार और लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में न्याय दिलाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है।
जसदीप कौर, लेखिका/ निर्देशक कानपुर फाइल्स
ग्लोबल मिडास कैपिटल (जीएमसी), प्रोडक्शन हाउस, ने ग्लोबल मिडास फाउंडेशन (जीएमएफ) के सहयोग से “कानपुर फाइल्स” नाम से एक खास डाक्यूमेंट्री बनायी है। यह डॉक्यूमेंट्री 1984 में भारत के कानपुर में 127 सिखों के नरसंहार की वास्तविक घटनाओं पर आधारित है, जो भारत की उस समय की प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद हुई थी। डॉक्युमेंट्री की अवधि 1 घंटा 25 मिनट है। आज के समय पर हम कहां खड़े हैं कानूनी न्याय को लेकर जो उस समय घटी हत्याएं, लूटपाट, मुआवजे घरों को, व्यवसाओ को और व्यक्तिगत संपत्ति और कारोबारों को नष्ट करने के, बच्चों, महिलाओं और जवान लड़कियों के साथ शर्मनाक दरिंदगी वाली हरकतें, क्या मुसीबतों, और कठिनाईयों का सामना 40 साल बाद भी सिखों को कानपुर, यूपी के 1984 के नरसंहार में झेलने पड़े, ये सब ये डॉक्युमेंट्री दिखाती है। पहली बार पुख्ता सबूतों, क़ानूनी कार्रवाही, जांच में ढील, गवाहों और अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत समिति, 1984 के अध्यक्ष सरदार कुलदीप सिंह भोगल और उनकी टीम को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा उसका खुलासा इसमें किया गया है। यह डॉक्यूमेंट्री 26 नवंबर 2023 को सुबह 10 बजे IST ग्लोबल मिडास ग्रुप के जीएमएफ और साड्डा खिरदा पंजाब यूट्यूब चैनल पर जारी की गई है। जसदीप कौर इस डॉक्यूमेंट्री की लेखिका और निर्देशक हैं।
सरदार इंदर प्रीत सिंह, संस्थापक – ग्लोबल मिडास कैपिटल और ग्लोबल मिडास फाउंडेशन ने अपील की है भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी सिख धार्मिक और राजनीतिक संस्थानों/संगठनों, मानवाधिकारों, लोकतांत्रिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों के अधिकारों, नागरिक स्वतंत्रता, अंतरधार्मिक विश्वास संस्थानों, मॉब लिंचिंग और नरसंहार को रोकथाम लगाने के लिए काम करने वाले संस्थानों कि इस डॉक्यूमेंट्री को देखे और दुनिया भर में विशिष्ट समुदाय, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, गुरुद्वारों और आम जनता को दिखायें। निवेदन है कि उपरोक्त संस्थानों से जुड़े लोगों के लिए एक विशेष स्क्रीनिंग करी जाये ताकि मानवीय आधार पर न्याय पाने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता और इन्साफ पाने की अपील हासिल की जा सके। इससे पीड़ितों को लंबे समय से प्रतीक्षित न्याय और पुनर्वास दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समन्वित समर्थन प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिन्होंने 1984 में हुए सिखों के खिलाफ पूर्ण भारतवर्ष में नरसंहार के दौरान अपना सब कुछ खो दिया था।
यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी लेकिन अफसोस की बात यह है कि घटना के इतने साल बाद भी इस हत्याकांड के मुख्य दोषियों, प्रमुख आरोपियों और मास्टरमाइंड के खिलाफ कोई कड़ी ठोस कार्रवाई नहीं की गई जो अभी भी फरार है और जिसकी प्रमुखता इस नरसंहार में पूरी तरह से साफ़ स्पष्ट है। इस प्रमुख आरोपी की पूरे कानपुर में 127 सिख हत्याओं और अन्य आपराधिक हिंसक गतिविधियों में अहम् भूमिका निभाई है जिसे इस डॉक्यूमेंट्री में सबूत के साथ उजागर किया गया है। यह पहली बार है कि 1984 से अब तक की 39 साल की पूरी घटनाओं को इतने विस्तार से दर्शाया गया है।