उत्तर प्रदेशमहराजगंज

महराजगंज:विभाग की मिलीभगत से मनरेगा घोटाला में निचलौल अव्वल, दोहरा मापदंड, एक जिले में कार्रवाई तो दूसरे में चुप्पी

रिपोर्ट-रामेश्वर त्रिपाठी/एड.चंदन कुमार

महाराजगंज/बहराइच – मनरेगा योजना में हो रही धांधली थमने का नाम नहीं ले रही है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में होली के दिन 14 मार्च 2025 को नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) के तहत फर्जी उपस्थिति दर्ज करने पर सख्त कार्रवाई का आदेश जारी किया गया। लेकिन वहीं, महाराजगंज जिले में इसी तरह की गड़बड़ी सामने आने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

बहराइच में उपायुक्त, श्रम एवं रोजगार ने जांच के बाद 8 ग्राम पंचायतों में होली के दिन दर्ज उपस्थिति को फर्जी मानते हुए संबंधित कर्मियों को हटाने और तकनीकी सहायकों व ग्राम पंचायत सचिवों के खिलाफ प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। दूसरी ओर, महाराजगंज जिले में मीडिया में उजागर हुए इस मामले में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

बहराइच में कार्रवाई का सख्त रुख

बहराइच जनपद के विकास खंड मिहीपुरवा की 8 ग्राम पंचायतों में 14 मार्च को मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति एनएमएमएस ऐप के जरिए दर्ज की गई। लेकिन जब इस मामले की शिकायत हुई, तो प्रशासन ने तुरंत संज्ञान लिया और जांच के बाद इसे फर्जी करार दिया।

इन ग्राम पंचायतों में हुई गड़बड़ी:
भगवानपुर कुर्मियाना
चौधरीगांव
हरखापुर
हंसुलिया
कतरनिया
मधवापुर
सेमरहना
उर्रा
जिन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिरी:

तकनीकी सहायक/अवर अभियंता: आरिफ खां वारसी, विवेक वर्मा, गोपेश यादव
ग्राम पंचायत सचिव: शहनवाज अहमद, रमेश कुमार, अनिल मौर्य, किरण वर्मा
ग्राम रोजगार सेवक: अशोक मौर्य, अर्जुन सोनकर, विजय वर्मा, बृजराज पांडे
उपायुक्त, श्रम एवं रोजगार, बहराइच ने खंड विकास अधिकारी, मिहीपुरवा को निर्देश दिया कि इन सभी ग्राम पंचायतों में एनएमएमएस से उपस्थिति दर्ज करने वाले कर्मियों को तत्काल हटाया जाए और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, ग्राम रोजगार सेवकों को भी पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पारित करने को कहा गया है।

महाराजगंज में भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश

बहराइच में जहां प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया, वहीं महाराजगंज जिले में ठीक इसी तरह की गड़बड़ी सामने आने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। होली के दिन यहां भी 8 ग्राम सभाओं में फर्जी तरीके से मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज कर उनके नाम पर मजदूरी निकाली गई।

मीडिया रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ कि यह घोटाला प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। लेकिन महाराजगंज के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अनुराग जैन और मनरेगा आयुक्त करुणाकर आबिदी ने अब तक किसी भी जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई का आदेश नहीं दिया।

मीडिया के सवालों पर चुप्पी:

जब पत्रकारों ने इस भ्रष्टाचार को लेकर जिला प्रशासन और मनरेगा अधिकारियों से सवाल किए, तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। सीडीओ अनुराग जैन और मनरेगा आयुक्त करुणाकर आबिदी ने या तो सवालों को टाल दिया या जांच के नाम पर मामला दबाने की कोशिश की।

क्यों हो रहा है दोहरा मापदंड?

बहराइच और महाराजगंज के मामलों की तुलना की जाए, तो साफ नजर आता है कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा घोटाले पर दोहरी नीति अपनाई जा रही है। एक ओर बहराइच में शिकायत मिलते ही कार्रवाई का आदेश दिया जाता है, जबकि दूसरी ओर महाराजगंज में मीडिया के खुलासे के बावजूद प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है।

प्रश्न यह उठता है कि:

जब बहराइच में होली के दिन उपस्थिति दर्ज करना फर्जी करार दिया गया, तो महाराजगंज में यही नियम क्यों लागू नहीं हो रहा?
क्या महाराजगंज में प्रशासनिक अधिकारी भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं?
क्या उच्च स्तरीय अधिकारियों तक यह मामला नहीं पहुंचा, या फिर इसे दबाने की कोशिश हो रही है?
मनरेगा में भ्रष्टाचार का बढ़ता जाल

मनरेगा योजना ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए चलाई जाती है, लेकिन भ्रष्ट तंत्र के कारण इसका लाभ असली मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है। मजदूरों के नाम पर फर्जी उपस्थिति दर्ज कर सरकारी धन की लूट हो रही है।

महाराजगंज में उजागर हुए घोटाले के पीछे भी यही खेल नजर आ रहा है। अधिकारियों और रोजगार सेवकों की मिलीभगत से फर्जी मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई और उनके नाम पर भुगतान लिया गया।

उच्च प्रशासन कब लेगा संज्ञान?
अब सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति महाराजगंज में लागू होगी? क्या जिलाधिकारी और अन्य उच्च अधिकारी इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाएंगे?

बहराइच में हुई कार्रवाई से स्पष्ट है कि अगर प्रशासन चाहे, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन जब तक भ्रष्टाचारियों को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण मिलता रहेगा, तब तक गरीब मजदूरों का हक मारा जाता रहेगा।

अब देखना होगा कि क्या महाराजगंज प्रशासन अपनी चुप्पी तोड़ेगा, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा।

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