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अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष का सफर

खगोल विद अमर पाल सिंह, नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर,उत्तर प्रदेश,भारत

 

नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बोइंग कंपनी के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से जून 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे। मिशन केवल 8 दिनों का था, लेकिन तकनीकी खराबियों के कारण दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को 9 महीने से अधिक समय तक अंतरिक्ष में ही रहना पड़ा। अंततः स्पेस-एक्स के क्रू-9 ड्रैगन कैप्सूल के जरिए 19 मार्च 2025 को वे सफलतापूर्वक फ्लोरिडा के तट पर अटलांटिक महासागर में स्प्लैशडाउन (समुद्र में लैंडिंग) कर पृथ्वी पर लौटे। इस मिशन में उनके साथ नासा के अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोर्बनोव भी शामिल थे।

तकनीकी खराबी के कारण मिशन में हुई देरी

बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खामियां लॉन्च के बाद से ही सामने आने लगी थीं। जब स्पेसक्राफ्ट ISS के पास पहुंचा, तब 5 थ्रस्टर्स (रॉकेट के छोटे इंजन) काम करना बंद कर चुके थे और हीलियम गैस का रिसाव हो रहा था। लगातार एक के बाद एक खराबियां सामने आती गईं, जिसके चलते यह मिशन लंबा खिंच गया। नासा को चिंता थी कि अगर तकनीकी खामियों के साथ यह यान पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंटर करता, तो बड़ा खतरा हो सकता था। इसलिए, नासा ने स्पेस-एक्स के भरोसेमंद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए वापसी कराने का फैसला किया। इस निर्णय पर बोइंग कंपनी नाराज भी दिखी, क्योंकि यह स्टारलाइनर की पहली मानवयुक्त उड़ान थी, जो पूरी तरह सफल नहीं हो पाई।

स्पेस-एक्स ड्रैगन: भरोसेमंद और अत्याधुनिक अंतरिक्ष यान

एलन मस्क की स्पेस-एक्स कंपनी द्वारा निर्मित ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को पहले भी नासा के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम में शामिल किया गया था और यह पहले भी सफल मिशन अंजाम दे चुका है। इस यान की विशेषताएं इस प्रकार हैं-
यह सात अंतरिक्ष यात्रियों को एक साथ ले जाने में सक्षम है।
यह पूरी तरह ऑटोनॉमस (स्वयं-नियंत्रित) है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे मैन्युअली भी ऑपरेट किया जा सकता है।
इसमें आपातकालीन सुरक्षा प्रणाली मौजूद है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा बनी रहती है।
यह यान बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है (री-यूजेबल), जिससे यह बेहद किफायती साबित हुआ है।

वापसी का रोमांचक सफर

18 मार्च 2025 को क्रू-9 ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को ISS से अनडॉक किया गया और 17 घंटे की यात्रा के बाद यह 27359 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल हुआ। वायुमंडल में प्रवेश करते समय यान को भीषण गर्मी और दबाव सहना पड़ा, लेकिन स्पेस-एक्स की अत्याधुनिक हीट शील्ड ने इसे सुरक्षित रखा। 19 मार्च 2025 की सुबह 3:27 बजे (भारतीय समयानुसार) यह अमेरिका के फ्लोरिडा तट पर सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन (समुद्र में लैंडिंग) हुआ।

सुनीता विलियम्स ने रचा इतिहास

इस मिशन के साथ ही 59 वर्षीय भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने नया रिकॉर्ड बना दिया। वे 286 दिन अंतरिक्ष में बिताने वाली तीसरी महिला बन गई हैं।
इससे पहले-

1. क्रिस्टीना कोच – 328 दिन (पहली महिला)

2. पेगी व्हिटसन – 289 दिन (दूसरी महिला)

अंतरिक्ष मिशन के दौरान आने वाली चुनौतियां

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें ये शामिल हैं:
हीलियम रिसाव – गैस लीक होने पर स्पेसक्राफ्ट का बैलेंस बिगड़ सकता है।
थ्रस्टर्स फेलियर – इंजन ठीक से काम न करें, तो यान दिशाहीन हो सकता है।
कंट्रोल लॉस – यान का सही तरह से मैनेउवर न होना।
ब्लैकआउट – पृथ्वी से संपर्क टूट जाना।
री-एंट्री के दौरान शील्ड फेलियर– पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय भीषण गर्मी से सुरक्षा जरूरी होती है।
डॉकिंग/अनडॉकिंग असफल होना- आईएसएस से सही ढंग से नहीं जुड़ पाना।
स्प्लैशडाउन की समस्या- समुद्र में उतरते समय पैराशूट ठीक से काम न करे। यही वजह है कि नासा और स्पेस-एक्स जैसे संगठन हर संभावित खराबी को ध्यान में रखते हुए मिशन को अंजाम देते हैं।

भविष्य की सीख और भारत के लिए संदेश

खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार, इस मिशन से हमें यह सीख मिलती है कि हर मिशन में टीम वर्क, सटीक योजना और वैज्ञानिक समर्पण बेहद जरूरी होता है। अगर भारत सरकार भी निजी अंतरिक्ष कंपनियों को इस क्षेत्र में अधिक अवसर दे, तो इसरो भी विश्व की अग्रणी स्पेस एजेंसियों के साथ मिलकर अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊंचाइयों को छू सकता है। स्पेस-रेस अब सिर्फ देशों तक सीमित नहीं, बल्कि निजी कंपनियां भी इसमें अहम भूमिका निभा रही हैं। भारत को भी इस दिशा में और मजबूत कदम उठाने की जरूरत है।

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