Life Styleउत्तर प्रदेशमहराजगंज

पौधों के संग ही जीना पौधों के संग ही मरना-“चन्द्रेश शास्त्री”

यह हम सभी जानते हैं निचलौल के समीपस्थ गांव वैदौली की विशिष्ट पहचान पौधाप्रेम के नाते हैं! आज हम चर्चा कर रहे हैं उस व्यक्तित्व की जिसने बैदौली गांव में सर्वप्रथम पौधशाला को व्यवसाय के रूप में स्थापित किया और फिर वहां से कई किसानों ने पौधशाला स्थापित करने का कार्य किया! हां, अपने बैदौली गांव मैं पौधाप्रेम के पहचान की शुरुआत लल्लन पौधशाला से प्रारंभ हुई! 1993 में लल्लन प्रसाद ने लल्लन पौधशाला की स्थापना की! पौधों से प्रेम ही था कि उन्होंने युवावस्था में न्यूनतम वेतनमान में वन विभाग की नौकरी की! पौधों के सेवा भावना के नाते ही वन विभाग के अधिकारियों में बैदौली गांव के युवा किसान लल्लन प्रसाद का अच्छा सम्मान था तो समाज में अच्छी पहचान भी थी! फिर गांव में लल्लन पौधशाला के नाम से उन्होंने नर्सरी स्थापित की! जिसे वह आज भी चला रहे हैं! वेदौली गांव मैं जंगल कटान टोला की ओर जाने वाली सड़क के किनारे बनी हुई एक झोपड़ी में बैठे हुए ललन जी दिखाई पड़ जाएंगे! दिन भर वह पौधों की देखरेख में ही अपने परिवार से अलग समय बिताया करते हैं! डेढ़ एकड़ जमीन उन्होंने लीज पर ली है! जिसमें कटहल, नीम, आम अमरूद,गुलमोहर पीपल बरगद के साथ-साथ शीशम सागौन जैसे अन्यान्य पौधे भी मिल जाएंगे ! सागौन के पौधों से तो इन्होंने बिहार तथा झारखंड के अधिकारियों का मन भी मोहित कर लिया है! आज भी बिहार और झारखंड के अधिकारी उनके यहां पौधे लेने आते हैं! परंतु पौधा प्रेमी लल्लन प्रसाद इन दिनों सरकारी अस्तर पर पौधे के लेनदेन की प्रक्रिया से खासे खिन्न है! बीज की मिलावट खोरी तो परेशान करती ही है! सरकार वादे के अनुरूप सहयोग नहीं करती! लल्लन प्रसाद के अनुसार बिचौलियों के लेनदेन ने तो उनके पूंजी को ही तोड़ दिया एक बार ऐसा लगा कि अब इस अवस्था में आकर पौधाप्रेम का सपना चकनाचूर हो जाएगा! किसी तरह से उन्होंने अपने आप को संभाल लिया है! काम तो उनको पौधे का ही करना है! ललन प्रसाद अपने जीवन में लगभग 5 दशकों से पौधों की सेवा में ही अपना समय बिता रहे हैं! पौधों की सेवा से ही पहचान और सम्मान है! लल्लन प्रसाद के अनुसार पौधों की सेवा में जीवन समर्पित है पौधों से ही पहचान है पौधों से ही अपनी शान है! अब तो पौधों की सेवा में ही जीना है अब तो पौधों की सेवा में ही मरना है!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}