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जीएमएफ द्वारा पंजाब सरकार, एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल से पूरे पंजाब में गांव-गांव गुरमति प्रचार और प्रसार अभियान के लिए अपील

पत्रकार उषा माहना,नई दिल्ली

जीएमएफ द्वारा पंजाब सरकार, एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल से पूरे पंजाब में गांव-गांव गुरमति प्रचार और प्रसार अभियान के लिए अपील

दिल्ली स्थित एक सामाजिक संगठन ग्लोबल मिडास फाउंडेशन (जीएमएफ) पिछले 3 वर्षों से सिखी मूल्यों ‘सरबत दा भला’ और ‘चडदी कला’ की विचारधारा के आधार पर पंथ और संगत की सेवा कर रहा है।

जीएमएफ द्वारा पिछले तीन वर्षों में घर-घर सिखी प्रचार और प्रसार सेवा में कई उपराले किए गए, जैसे संगत पंगत, गुरमत समागम, शबद कीर्तन दरबार इत्यादी। इसमें 5 वर्ष से अधिक के बच्चे और उनके परिवार शामिल हुए।

ग्लोबल मिडास फाउंडेशन के सहयोग से ग्लोबल मिडास इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ सिख स्टडीज (जीएमआईआरआईएसएस) ने पूरे भारत में एक गुरमति परीक्षा टेस्ट श्रृंखला शुरू की है, जिसके प्रथम चरण उत्तराखंड और पंजाब भर के विभिन्न गांवों में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए। इसमें 1000 से अधिक बच्चे शामिल हुए, जिसकी सारी जानकारी ग्लोबल मिडास शबद कीर्तन गुरबानी यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है ।

ग्लोबल मिडास फाउंडेशन के संस्थापक सरदार इंदर प्रीत सिंह ने बताया कि गुरमति प्रचार और प्रसार के लिए अपने निजी स्तर पर अध्यापक, बच्चे और उनके परिवार एक जुट होकर गुरमति विद्या को प्रथम स्तर पर रखें, ताकि भविष्य में देश विदेश में सिखी का प्रचार प्रसार कर सके और खुद भी प्रचारक बन सकें।

उन्होंने कहा कि इसमें निष्ठा से एक परिवार बनके सभी एक दूसरे का सहयोग दे रहे हैं। ग्लोबल मिडास अब गुरमत विद्या की किताबें बनाने जा रहे हैं, ये किताबें पिंड के अंदर अध्यापकों को मुफ्त में दी जाएगी जिससे कि वो आगे चलकर बच्चों को पढ़ा सकें ।

उन्होंने कहा कि कुछ निराशाजनक और चौंकाने वाले शिक्षण परिणाम, राजपुरा और पटियाला, पंजाब में आयोजित परीक्षाओं से फीडबैक में आए हैं, जो ऑन रिकॉर्ड दर्ज है। यह परिणाम दर्शाते हैं कि शायद ही कहीं कोई संगठित गुरमति शिक्षा दी जा रही है।

गुरमति विद्या को बढ़ावा देने की इच्छाशक्ति की कमी है और यहां सीखने और सिखाने के संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल, निजी स्कूल और गांव स्तर पर सिंह सभा गुरुद्वारों में गुरमति किताबें उपलब्ध नहीं हैं। गुरमति शिक्षा के लिए पुस्तकालय, सीखने के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और बनाने का कोई प्रयास नहीं है। गांवों में जो शिक्षक गुरमति शिक्षा प्रदान करना चाहते हैं, सरकारी, निजी स्कूलों और सिंह सभा गुरद्वारों से उनके लिए कोई प्रोत्साहन और सहायता उपलब्ध नहीं है। गुरमति विद्या प्रदान करने के लिए अध्यापक और बच्चों के लिए एमपी, विधायक और लोकल गुरुद्वारा कमेटियों द्वारा पढ़ाने के लिए जगह का आयोजन, पढ़ने के लिए किताबें, लिखने के लिए पेंसिल, नोटबुक, बैग जैसी बेसिक सहूलियत और व्यवस्था तक उपलब्ध नहीं है। जो माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी पढाई देना चाहते हैं और सरकारी स्कूल की भी फीस नहीं दे पाते, वह उनको क्रिस्चियन मिशनरी स्कूल में दाखिल कराते हैं, जहां पर फीस माफ़ कर दी जाती है, किताबें और यूनिफार्म स्कूल द्वारा दी जाती हैं। इन जगहों पर पढ़कर कभी भी बच्चे सिखी से और अपने सभ्याचार से नहीं जुड़ पाते, ऐसी जगहों पर भी अगर गांवों के सिंह सभा गुरद्वारों में गुरमति की विद्या दी जाए, तो शायद वह गुरसिख बनें रह सके और अपने गुरु घरों से जुड़े रह सके।

जीएमएफ ने इसी अध्य्यन को पूरे पंजाब कैबिनेट, विधायक, राज्य सभा और लोक सभा एमपी, एसजीपीसी, डीएसजीएमसी, एचजीपीसी, शिरोमणि अकाली दल, राष्ट्रीय कमीशन माइनोरिटीज (एनसीएम) के साथ सांझा किया है। इसी के साथ विदेश में सिख और पंजाबी कम्युनिटी से, एनआरआई से, सारी सिखों की धार्मिक, सियासी, सामाजिक कल्याण संस्थाओ से देश और विदेश में गांव गांव गुरमति प्रचार और प्रसार कैंपेन उपराला चलाने की विनती की है। जीएमएफ की सारी टीम और वालंटियर ने, जहां भी जरुरत लगे, इस उपराले में अपनी सेवाएं देने की उपलव्धता बताई है।

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