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अक्षय नवमी मंगलवार को,आवला वृक्ष की होगी पूजा

अक्षय नवमी व्रत प्राणियों में आरोग्य शक्ति प्रदान करता है-पं. बृजेश पाण्डेय

गोरखपुर। भारतीय विद्वत् महासंघ के महामंत्री पं.बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य के अनुसार अक्षय नवमी व्रत दिनांक 21 नवम्बर दिन मंगलवार को मनाया जायेगा जिसमे आवला वृक्ष का विधि-विधान से पूजन अर्चन किया जाता है.
इस व्रत को लोकाचार की भाषा मे आंवला नवमी भी कहा जाता है। पं. बृजेश पाण्डेय ने अक्षय नवमी पर्व कि महत्ता व पूजा कि विधि बताते हुए कहा कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन अक्षय नवमी को मनाया जाता है तथा इस दिन दान-धर्म का विशेष महत्व होता है,इस दिन जो दान-पुण्य किया जाता है उसका लाभ वर्तमान में तो मिलता ही है साथ ही अगले जन्म में भी इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है.
नवमी आज मंगलवार को दिन मे प्रात: काल 6 बजकर 39 मिनट से लेकर मध्यरात्रि 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा,इसके बीच ही आवला वृक्ष के नीचे मीठा भोजन बनाकर या घर से लाकर खायें.अगर किसी भी कारणवश आप इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा नहीं कर पा रहे हैं या उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं तो इस दिन आंवला अवश्य खाएं.
अक्षय नवमी को देव उठनी एकादशी के दो दिन पहले मनाया जाता है तथा इस दिन हर तरह का दान-पुण्य किया जा सकता है.यह व्रत प्राणियों में आरोग्य शक्ति प्रदान करने वाला है.शास्त्रों के अनुसार आंवला, पीपल, वटवृक्ष, शमी, आम और कदम्ब के वृक्षों को चारों पुरुषार्थ दिलाने वाला कहा गया है. ऐसा कहा जाता है कि इनके पास जप-तप पूजा-पाठ अगर किया जाए तो इससे सभी पाप मिट जाते हैं.ज्योतिषाचार्य ने पूजा विधि बताते हुए कहा की आंवला नवमी की पूजा करने के लिए व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करलें, फिर आंवले की पेड़ की पूजा करें,तत्पश्चात आंवले के पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाएं साथ ही रोली,अक्षत,फूल,गंध आदि अर्पित करें फिर विधि-विधान से पूजा करें. इसके बाद आंवले की पेड़ की सात बार परिक्रमा करें व दिया भी जलाएं,इस दिन आंवला नवमी की कथा भी करें.
पं. बृजेश पाण्डेय ने आंवला नवमी के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा की इस दिन तर्पण, स्नान, न्नादि के दान और पूजन से अक्षय अनंत गुणा फल मिलता है। पद्म पुराण में कार्तिकेय से भगवान शिव ने कहा था कि आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप है.ऐसे में यह वृक्ष विष्णु प्रिय है,व्रत के स्मरण से गोदान के बराबर का फल प्राप्त होता है.यह भी कहा जाता है कि अगर आंवले के वृक्ष को स्पर्श मात्र से ही दोगुना तथा फल सेवन पर तीन गुणा फल प्राप्त होता है।

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