कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र रविवार से प्रारम्भ,नौ दिन होगी शक्ति स्वरुपा की पूजा

गोरखपुर! भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री व युवा जनकल्याण समिति के संस्थापक पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य के अनुसार आज 15 अक्टूबर दिन रविवार को प्रातः काल से ही प्रतिपदा तिथि मिल रही है तथा रात्रि 11:52 तक है इस दिन से नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करने या कराने वाले श्रद्धालु भक्त कलश स्थापना करें तथा पहला दिन का व्रत भी रखें इस बार रविवार दिन चित्रा नक्षत्र वैधृति योग किष्तुघ्न करण तथा पद्म योगा का संयोग देश एवं देश की जनता के लिए लाभकारी है. इसलिए कल्याण हेतु तन मन धन से नौ दुर्गा के नौ स्वरुपों का (प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्म चारिणी तृतीय चंद्रघंटा चतुर्थ कुष्मांडा पंचम स्कंद माता षष्ठम कात्यायनी सप्तम कालरात्रि अष्टम महागौरी नवम सिद्धि धात्री के स्वरुपों का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें तथा देश एवं अपने कल्याण हेतु कामना करें.
पं बृजेश पाण्डेय ने यह भी बताया कि महानिशा पूजा जिस रात्रि में अष्टमी तिथि मिलती हो उसी रात्रि को महानिशा पूजा करना चाहिए तथा महाअष्टमी व्रत सूर्योदय ब्यापिनी करना चाहिए, सप्तमी युक्त अष्टमी नहीं रहना चाहिए.
इस आधार पर महानिशा पूजा 21 को तथा महाअष्टमी व्रत 22 को किया जाएगा तथा 23 को महा नवमी व्रत एवं दुर्गा सप्तशती पाठ का हवन भी किया जाएगा.
विजयादशमी भी 23 को ही मनाई जाएगी,निर्णय सिंधु के अनुसार इस वर्ष उदय कालिक दशमी 24 अक्टूबर को श्रवण नक्षत्र का संयोग नहीं बन पा रहा है इस स्थिति मे पूर्व दिन ही विजयादशमी ग्राह्य किया गया है.
“दिने अपरान्हे श्रवणा भावे तु सर्वपक्षेषु पूर्वैव”
इस प्रकार 23 अक्टूबर को विजय दशमी का पर्व मनाया जाएगा!
पाण्डेय जी यह भी बताया कि हेमाद्रि के अनुसार प्रतिपदादि क्रम (प्रतिपदा से नवमी तक) या त्रिरात्र (सप्तमी से नवमी) जब तक नवमी ब्याप्त हो तब यथाक्रम से व्रत रहने वालों का पारण दशमी में होगा,जिन लोगों का पारण व विसर्जन का आचार हो उनका प्रातः दशमी में विसर्जन पश्चात पारण होगा जो 24 को है,खाड़ की जिवत्पुत्रिका व्रत 22 अक्टूबर रविवार को किया जाएगा.
महानिशा पूजा 21, महाअष्टमी व्रत 22 ,महा नवमी व्रत एवं हवन, विजयादशमी दुर्गा विसर्जन 23 अक्टूबर को मनाया जायेगा.
नवरात्र मे नौ दिन व्रत रहने वालों का पारण प्रातः काल 24 अक्टूबर को होगा